बुधवार, 1 मई 2013

'शिकार'

प्रतीक चित्र
शाम के करीब 4 बजे थे। बाहर तेज बारिश हो रही थी। अमित अपने बेडरूम में अधलेटी अवस्थ में किसी उपन्यास के पृष्ठ पलट रहा था। मौसम सुबह से ही खराब था जिसकी वजह से वह आपिफस भी नहीं गया था। हाथ में थमा उपन्यास वह पहले भी एक दपफा पढ़ चुका था, लिहाजा दोबारा पढ़ने में उसे बोरियत महसूस हो रही थी। कुछ क्षण और पन्ने पलटते रहने के बाद उसने सुबह की डाक से आया मां का पत्रा उठा लिया और एक बार पिफर उसे पूरा पढ़ डाला।
मां ने लिखा था कि उसकीशादी किसी स्वेता नामक युवती से तय कर दी गई है। स्वेता बी.. पास थी और सिी काल सेंटर में जाॅब करती थी। पत्रा में मां ने जल्दी ही स्वेता की पफोटो भेजने की बात लिखी थी। पूरा पत्रा पढ़ चुकने के बाद उसने उसे तकिए के नीचे रख दिया और पुनः उपन्यास हाथ में उठा लिया। ठीक तभी दरवो पर दस्तक हुई।
अमित उठकर दरवाजे तक पहुंचा और किवाड़ खोलते ही चैक गया। खुले दरवाजे पर सिर से पांव तक भीगी हुई एक खूबसूरत युवती खड़ी थी। उसने जींस की पैंट और सपेफद रंग शर्ट पहन रखा था। शर्ट का पहना और ना पहनना दोनों इस वक्त बराबर था क्योंकि भीगा हुआ शर्ट उसके शरीर से चिपक गया था और उसकी मांसल छातियां स्पष्ट नुमाया हो रही थी। अमित पहली ही नजर में भांप गया कि युवती शर्ट के नीचे कुछ भी नहीं पहने थी। उसके शरीर में सनसनी की लहर दौड़ गई।
कुछ क्षण युवती को घूरते रहने के बावजूद उसे युवती की सूरत जानी-पहचानी नहीं लगी। उसने अपने दिमाग पर जोर डालकर युवती को पहचानने की कोशिश की, किंतु कामयाब नहीं हुआ। कुछ ही क्षणों में उसे यकीन गया कि आज से पहले उसने युवती को कभी नहीं देखा था अतः उसने व्यर्थ सिर खपाने की बजाय उससे पूछ लेना ही उचित समझा, फ्कहिए किससे मिलना है?य्
फ्मुझे नहीं मालूम।य् युवती बोली, पिफर उसने महसूस किया कि उसकी बात स्पष्ट नहीं है अतः जल्दी से बोल पड़ी, फ्मेरा मतलब है बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है, अगर आपकी इजाजत हो तो बारिश बंद होने तक मैं यहां रुक जाऊं।य्
फ्जी हां क्यों नहीं, प्लीज अंदर जाइए।य्
युवती कमरे में दाखिल हो गई। अमित ने उसे पीठ पीछे दरवाजा बंद कर दिया।
फ्मेरा नाम मोना है मैं...।य्
फ्परिचय बाद में दीजिएगा, पहले आप भीतर जाकर कपड़े बदल ले वरना बीमार पड़ जायेंगी। वार्डरोब में से जो भी आप पहनना चाहें पहन सकती हैं। आपचेंज करके आइए तब तक मैं आपक लिए चाय बनाता हूं।य्
कहकर अमित किचन की ओर बढ़ गया। युवती जिसने अपना नाम मोना बताया था, बेडरूम में पहुंचकर कपड़े बदलने लगी। जींस उतारकर उसने अमित का पाजामा-कुर्ता पहन लिया। मर्दाना लिबास में उसकी खूबसूरती पहले से अधिक निखर आई। वह ड्राइंगरूम में पहुंची तो दो कपों में चाय उड़ेलता अमित उसे ठगा सा देखता रहा गया।
फ्ऐसेक्या देख रहे हो?य् मोनाने इठलाते हुए एक बदनतोड़ अंगड़ाई ली।
फ्तुम बहुत खूबसूरत हो और...।य्
फ्और क्या?य् मोना ने उसकी आंखों में देखा।
फ्बहुत ज्यादा सेक्सी भी।य्
फ्सच...।य्
फ्एकदम सच मैंने तुम जैसी हसीन लड़की ताजिदंगी नहीं देखी, सच पूछो तो मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि स्वर्ग की एक अप्सरा मेरे सामने खड़ी है। मुझे सबकुछ स्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा है।य्
फ्तुम मुझे बना तो नहीं रहे?य्
फ्बिल्कुल नहीं।य्
फ्पिफर तो तारीपफ करने के लिए शुक्रिया।य् मोना मुस्करा उठी।
फ्काश! तुम ताजिंदगी यूं ही मुस्कराती रहती और मैं तुम्हें निहारता रहता।य्
फ्और इस निहारने के चक्कर में चाय ठण्डी हो जाती।य् मोना ने कहा और हंस पड़ी।
फ्अरे चाय को तो मैं भूल ही गया था।य्
अमित ने एक कप तत्काल उसे पकड़ाया और दूसरा स्वयं उठा लिया। दोनों चाय पीने लगे, मगर इस दौरान भी अमित ललचाई नजरों से मोना के कपड़ों के भीतर छिपे उसके गुदाज बदन की कल्पना कर आनंदित होता रहा।
फ्बाई दी वे तुम्हारा नाम क्या है?य् मोना ने पूछा।
फ्अमित।य् वह बोला, फ्अमित कश्यप।य्
फ्हां तो मिस्टर अमित कश्यप जी आप ये बताइये कि कहीं आप मुझ पर लाइन तो नहीं मार रहे।य्
फ्तुम्हें ऐसा लगता है।य्
फ्जी हो, तभी तो पूछ रही हूं।य्
प्रतीक चित्र
फ्तो समझ लो ऐसा ही है, मैं सचमुच तुम पर लाइन मार रहा हूं, क्योंकि तुम्हारे इस सांचे में ढले बदन ने मुझे दीवाना बना दिया, काश! मेरी दीवानगी का कोई बेहतर सिला तुम मुझे दे पाती तो मैं ताउम्र तुम्हारा एहसानमंद रहता।य्
फ्गुड तुम्हारी सापफगोई मुझे पसंद आई, मुझे तुम्हारी दीवानगी भी पसंद आई, मगर यूं ही दूर-दूर से ही अपना प्रेम प्रगट करते रहोगे या करीब आकर भी कुछ...।य्
फ्सो स्वीट।य् अमि चहक उठा, आगे बढ़कर उसने मोना को अपनी बांहों में भर लिया, इस प्रक्रिया में उसने अपना चाय काप्याला सेंट्रल टेबल पर रखना पड़ा। उस स्थिति का पूरा पफायदा उठाया मोना ने, उसने अपनी अंगूठी का कैप उठाकर पाउडर जैसा कोई पदार्थ उसकी चाय में डाल दिया।
अमित बड़ी बेसब्री से उसके कुर्ते के अंदर हाथ डालकर उसकी नग्न-चिकनी पीठ को सहला रहा था।
फ्इतनी जल्दी भी क्या है डा²लग पहले हम चायतो खत्म कर लें।य्
फ्जिसके आगे सोमरस का प्याला हो वह चाय क्यों पीयेगा?य्
फ्क्योंकि मैं ऐसा कह रही हूं।य्
फ्ओके स्वीटहार्ट।य् कहकर अमित ने जल्दी से अपना कप खाली कर दिया। इसके बाद उसने मोना को पुनः अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी होंठों को कुचलने लगा। मोना के मुख से पादक सिसकारियां निकलने लगी, वह अमित का पूरा साथ दे रही थी। देखते ही देखते अमित ने उसका कुर्ता उतार पेंफका और उसकी नुकीली तनी हुई छातियों को सहलाते हुए उसके अंग-अंग को चूमने लगा। अतिरेक से मोना ने उसका चेहरा अपनी छातियों से भींच लिया।
ठीक इसी वक्त अमित की पकड़ ढीली पड़ने लगी। पूरा कमरा उसे गोल-गोल घूमता प्रतीत होने लगा और कुछ ही पलों में बेहोश होकर पफर्श पर पसर गया।
फ्स्साला मुफ्रत का माल समझा था।य् बड़बड़ाती हुई मोना बेडरूम की ओर बढ़ गई।
करीब दो घंटे बाद अमित को होश आया तब तक मोना जा चुकी थी। हड़बड़ाहट में वह उठ बैठा और पूरे घर में पिफर गया। घर का सारा कीमती सामाना नकद आठ हजार रुपये जो कि उसने अपने बटुए में रखा था, गायब थे। अमित को समझते देर लगी कि वह ठगी का शिकार हुआ हुआ है। मगर अब वह कर भी क्या सकता था।
अभी अमित इस शाॅक जैसी स्थिति मे उबर भी नहीं पाया था कि दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने बेमन से उठकर दरवाजा खोला और हैरान रह गया। दरवाजे पर मोना से कहीं ज्यादा खूबसूरत एक युवती भीगी हुई खड़ी थी।
फ्कहिए?य्
फ्जी बाहर तेज बारिश हो रही है क्या बारिश बंद होने तक यहां रुक सकती हूं?य्
सुनकर अमित के होंठों पर एक विषैली मुस्कान तैर गई। उसे समझते देन लगी कि एक बार उसे ठगने की कोशिश की जा रही है। मन ही मन उसने युवती को मजा चखाने का पैफसला कर लिया और मुस्कराकर बोला, फ्जी हां भीतर जाइए।य्
युवती तत्काल कमरे में दाखिल हो गई।
फ्आप ऐसा कीजिए, पहले कपड़े बदल लीलिए वरना बीमार पड़ जायेंगी।य् कहकर उसने बेडरूम की ओर इशारा किया पिफर बोला, फ्तब तक मैं आपके लिए चाय बनाता हूं।य्
फ्जी थैक्यू!य् कहकर युवती बेडरूम की ओर बढ़ गई और अमित किचन की तरपफ।
किचन में पहुंचकर अमित ने चाय बनाई और उसमें नशीली गोली मिला दी। थोड़ी देर बाद जब वह चाय का कप लेकर ड्राइंगरूम में पहुंचा, तब तक युवती कपड़े बदलकर चुकी थी। वह अमित की जींस और शर्ट पहने थी। ये कपड़े उस पर खूब पफब रहे थे।
अमित ने चाय का प्याला उसकी ओर बढ़ा दिया। युवती चाय पीने लगी तो अमित एक बार पुनः मुस्करा उठा।
नशीली गोलियों ने जल्दी ही उस पर असर दिखाया और युवती अर्धबेहोशी की स्थिति में पहुंच गई। अमित ने तत्काल उसे बांहों में भर लिया और एक-एक कर उसके कपड़े उतार डाले। युवती उसका विरोध कर रही थी, मगर अमित को स्वयं से परे धकलने की ताकत उसमें नहीं थी।
अमित ने उसके नग्न बदन को अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले जाकर उसके कोमल अंगों को सहलाने लगा। युवती कराह उठी कुछ स्पुफट से शब्द उसके मुंह से निकले, फ्कमीने...घर में आई अकेली...लड़की से...अच्छा हुआ मैं अंजान बनकर तुमसे...यहां मिलने चली...आई वरना कहीं तुम जैसे शैतान से शादी हो जाती तो...देखना मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी।
उसकी आधी-अधूरी बात का मतलब भी अमित बखूबी समझ गया। उसकी खोपड़ी भिन्ना गई। उपफ! ये उसने क्या कर डाला, उसका दिल हुआ अपने बाल नोंचने शुरू कर दे। वह युवती और कोई नहीं बल्कि उसकी मंगेतर थी।
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