मंगलवार, 19 मार्च 2013

‘‘तीन दिनों का नर्क’’



प्रतीक चित्र
उस दिन अनुराधा के शरीर पर फ्राक और चड्ढी थी। फ्राक पेट से ऊपर उठी हुई थी, अतः उसके नीचे का हिस्सा खुला हुआ था। उसके के गोरे-गोरे पैरों को देखते हुए राजेश की आंखों में सुर्ख डोरे उभर आए थे। वह बार-बार अपने होठों पर जुबान फिरा रहा था। उसने अपनी मां को देखा ता उसकी मां गहरी नींद में थी। अचानक राजेश घुटनों के बल फर्श पर बैठ गया फिर आहिस्ता-आहिस्ता अनुराधा के पेट को चूमने लगा। वह काफी देर तक ऐसा ही करता रहा। उसकी सांसे लोहार की धौंकनी की मानिंद तीव्रतर हो उठी।
फिर न जाने अचानक राजेश के मन में क्या विचार आया, उसने अनुराधा को अपनी बांहों में भरकर उठाना चाहा तभी उसके मां की आंख खुल गयी तो उसकी मां ने पूछा, ‘‘क्या बात है राजूअनु को उठाये कहां ले जा रहा है?’’
राजेश बुरी तरह बौखला गया। उसने अनुराधा को वापस बेड पर लिटाया और हड़बड़ाते हुए बोला, ‘‘मां, यहां इसे गर्मी लग रही है न……’’
‘‘क्या बात कर रहा है। यहां तो कूलर चल रहा है।’’ मां ने बेड से उठते हुए कहा।
‘‘ओह!’’ राजेश के मुख से निकला।
‘‘कितनी बार कहा तुझसे। इतनी शराब मत पिया कर। यह शराब तुझे पागल बनाकर ही छोड़ेगी।’’ राजेश की मां बोली और बाथरूम की ओर बढ़ गई।
राजेश अपने कमरे में घुस गया। वह बेड पर लोटकर सोने का प्रयास करने लगा परन्तु नींद तो उससे कोसों दूर जा चुकी थी। उसकी आंखों के सामने तो अपनी ही कमसिन बेटी अनुराधा का जिस्म थिरक रहा था । राजेश रातभर बिस्तर पर बेचैनी से करवटें बदलता रहा।
उस रात जब से राजेश ने अनुराधा के पेट आदि को अपने होठों से स्पर्श किया था, तब से वह अंदर ही अंदर तड़प रहा था। हर समय उसके सामने उसकी अपनी ही मासूम बेटी का जिस्म थिरकता रहता। जिससे उसके समूचे जिस्म में वासना का लावा भर जाता था, तथा वह यह भी भूल जाता कि अनुराधा उसी की मासूम बेटी है, जिसका कन्यादान करने से ही उसका जीवन सार्थक होगा।
अब राजेश के सामने जब भी अनुराधा पड़ती तो वह उसे गोद में बैठाने की कोशिश करता, मगर अनुराधा अपने पिता के हाव-भाव देखकर सहमी-सहमी सी रहने लग गई थी, वह मासूम बच्ची अपने बाप की आंखों में हैवानियत की चमक देख चुकी थी।
वक्त बीतता रहा एक रात जब राजेश की मां एक रिश्तेदार की शादी में गई हुई थीं, तो राजेश की हैवानियत और बढ़ गई और उसने पक्का फैसला कर लिया कि आज रात वह अपने तन-मन में सुलगती आग को शांत करके ही मानेगा। फिर कुछ सोच विचार के बाद उसने अपने छोटे भाई को भी किसी काम से इतनी दूर भेज दिया कि रात मे वह न लौट सके।
अब घर पर राजेश व अनुराधा ही रह गए थे। उस रात राजेश ने शराब का आखिरी पैग रात ग्यारह बजे लिया फिर वह नशे में झूमता आंगन में गया, जहां अनुराधा लेटी थी। एक पल अनुराधा को देखते रहने के बाद राजेश बोला, ‘‘अनुराधा, सो गई क्या?’’
‘‘नही पापा, जाग रही हूँ।’’ अनुराधा ने खटिया पर बैठते हुए कहा।
‘‘तू जल्दी से उठकर कटोरी में तेल लेकर मेरे पास आ जा।’’
‘‘क्यों पापा?’’ यह सुनकर अनुराधा सहम गई थी।
‘‘मेरे पैर में कुछ तकलीफ है। जरा तेल लगाकर मालिश कर दे।’’ इतना कहकर राजेश कमरे में चला गया। उसने कमरे की खिड़की के पट बंद किए फिर बेड पर आकर पसर गया।
कुछ ही देर में अनुराधा कटोरी में तेल लेकर वहां आ गई। उस समय उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी। उसे देखते ही राजेश की आंखों में शैतानियत के बिच्छू तैर उठे और उसने अपने होंठों पर जुबान फिराते हुए कहा, ‘‘आ, मेरे पास आकर बैठ…’’
प्रतीक चित्र
अनुराधा सहमती हुई बेड पर उसके पायताने बैठ गई तो राजेश ने फौरन ही बेड से उठकर दरवाजा भीतर से ही लाँक कर दिया। फिर वह बेड पर अनुराधा से सटकर बैठ गया और फिर उसने अनुराधा को अपनी बांहों में भीच लिया।
‘‘यह, क्या करते हो पापा?’’ अनुराधा उसकी अप्रत्याशित हरकत से भयभीत हो उठी।
‘‘प्यार कर रहा हूँ।’’ कहते ही राजेश उसके कपड़े उतारने लगा। अनुराधा ने बेड से उठने की कोशिश की मगर राजेश ने उसे जबरन बेड पर लिटा दिया।
‘‘आज मै तेरी मालिश करूंगा। तुझे बहुत अच्छा लगेगा।’’ फिर उसने अनुराधा को पूर्णतः निर्वस्त्र कर दिया। राजेश उसके कोमलांगों पर तेल लगाने लगा तो अनुराधा रोने लगी।
‘‘चुपचाप लेटी रह, रोई तो गर्दन काटकर फेंक दूंगा।’’ गुस्से से राजेश बोला फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए। अपने बाप को जन्मजात नग्नावस्था में देख, अनुराधा ने अपनी पलके बंद कर लीं।
इसके बाद किसी भयंकर काले बादल की तरह राजेश अपनी बेटी अनुराधा पर छा गया। अनुराधा दर्द से बुरी तरह फड़फड़ाती रही। कुछ देर बाद अनुराधा पीड़ा की अधिकता से मूर्छित हो गयी।
राजेश की मां और उसका छोटा भाई तीन दिनों तक घर से बाहर रहे। इन तीन दिनों में अनुराधा के साथ राजेश ने कई बार बेरहमी से दुश्कर्म किया। इस दौरान अनुराधा दर्द से छटपटाती छोड़ देने की फरियाद करती, तो वह और ज्यादा बेरहमी दिखाने लगता था।
तीसरे दिन अनुराधा की दादी घर वापस लौटी तो उसने अनुराधा को गुमसुम-सा देख। जब उससे गुमसुम होने की वजह पूंछी तो वह अपनी दादी से लिपट कर फफक पड़ी। उसने अपने बाप की काली करतूत का खुलासा दादी के सामने कर दिया। बेटे की करतूतों को सुन राजेश की मां भौंचक्की रह गई। एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके अस्तित्व में बिस्फोट हुआ हो और उसका सारा वजूद तिनके-तिनके होकर बिखर गया हो।
 आखिरकार उन्होंने उसी दिन राजेश के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी। तब पुलिस ने अनुराधा के वह्सी बाप राजेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

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